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Showing posts from January, 2018
नेटीव्हीसम व नेटिव्ह हिंदुत्व हा अभिनव विचार : नेटीव्हीसम व नेटिव्ह हिंदुत्व हा अभिनव विचार नेटिविस्ट डी डी राऊत नी नेटिव्ह रुल मोव्हमेन्ट च्या माध्यमातून जगाला व विशेषतः हिंदुस्थानाला दिले आहे . नेटीव्हीसम ह्या विचाराने आपण चाललो तर आपण या देशाचा निच्चीतच विकास करू शकतो . या देशाचा विकास खुंटला कारण या देशावर अनेक विदेशी आक्रमकांनी केवळ आक्रमण केले नाही तर इथल्या नेटिव्ह लोकांची गळचेपी केली आहे , त्यांना मुक्त विचार व वेव्हार नाकारला आहे . इथून संपत्ती लुटून नेणे हा तर नित्याचाच भाग होता तर विदेशी ब्राह्मीनानी खुद्द हिंदुस्तानांतच इथल्या लोकांना शूद्र, अस्पृश्य , दुय्यम स्थान देऊन हजारोवर्ष त्यांना लुटले आहे . ३ टक्के विदेशी ब्राह्मण कायम सत्तेत राहिली मग ते मोघल शासन असो किव्हा इंग्रजी शासन असो , इथल्या राजेशाहीनी सुद्धा विदेशी ब्राह्मीनानी आपल्या ताब्यात ठेवली व वेळ आल्यास ती बळकावली . पेशवाई हे त्याचे उदाहरण आहे . मागील ३-४ हजार वर्ष हे असेच चालले आहे . काही तकलादू विचार सारणी ज्यांनी अहिंसे चा पुरस्कार केला व विदेशी ब्राह्मीनो बरोबर हातमिळवणी केली त्या मुले नेटिव्ह हिंदुत्व ची ...
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सत्य   हिन्दू  धर्म  सभा  : आज  का  विचार  : स्वामी  विवेकानंद  जागतिक  धर्म  परिषद्  में  भाइयो  और  बहनो  कह  सके  क्यों  की  वे  सत्य  हिन्दू  धर्मी  थे  , ब्राह्मण  धर्मी  नहीं  : स्वामी  विवेकानंद  जागतिक  धर्म  परिषद्  , अमेरिका  में  गए  और  वह  अपना  धर्म  प्रवचन  देते  हुवे  सम्बोधन  पर  उपस्थित  लोगो  को  भाई  और  बहनो  कहा  सके  क्यों  की  वे  धर्मात्मा  कबीर  के  अनुयायी  और  सत्य  हिन्दू  धाम  के  अनुयायी  थे  न  की  ब्राह्मण  वैदिक  धर्म  के  . हमें  जानना  होगा  की  ब्राह्मण  धर्म  एक  अधर्म  है  और  वो  पवित्र  भाई  - बहन  के  रिश्त...
भारतीय : मूल भारतीय , प्रवासी भारतीय , विदेशी मूल के भारतीय , गैर भारतीय , दुश्मन भारतीय हमने यहाँ ५ प्रकार लिखे है।  आज ९ जनुअरी है।  सर्कार प्रवासी भारतीय दिन सं २००३ से मना रही है।  सर्कार कहती है ऐसी दिन गांधीजी १९१५ को साउथ अफ्रीका से भारत लौटे थे और फिर स्वतंत्रता संग्रम की बागडोर संभाली , भारत को आज़ादी दिलाई।  देश  के गद्दारो ने उसे ३० जनुअरी को गोली मारी , गाँधी मर गया , देश ने उन्हें राष्ट्रपिता माना। गाँधी एक गैर ब्राह्मण हिन्दू थे।  जनेऊ , चोटी पहले रखते थे , बाद में छोड़ दी थी।  विदेशी ब्रह्मिनो को और उनके ब्राह्मण  धर्म  को सनातनी  कहते  थे  और अपने आप को हिन्दू , हिंदुस्तानी।  . इस हिसाब से गांधीजी  मूल भारतीय थे , कुछ समय के लिए विदेश गए , फिर लौट आये।  अच्छी बात है। वह हमने जो ऊपर ५ प्रकार लिखा उसमे मूल भारतीय प्रकार में आते है जैसे भारत के अन्य सभी गैर ब्राह्मण आते है। डॉ आंबेडकर भी कभी पढ़ने के लिए गए थे , इंग्लैंड गए , अमेरिका गए वह वे प्रवासी भारतीय थे जो अपना काम खत होने के बाद वापिस आये...
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झुटा पेशवा : झुटा ज्ञानबा : मुग़ल  बादशाह को जुते पहनाने वाले दरबारी नौकर को मुग़ल लोग पेशवा कहते थे जो रोज बादशाह के जुते उतारते थे , पहनाते थे।  शिवाजी महाराज ने शुर सरदारों का अष्ट प्रधान मंडल बनाया था जो सभी तन्खा पाते थे।  पेशवा का काम था महाराज के जुते की रखवाली , पहनना , उतरना।  इस से ज्यादा कुछ नहीं।  यह नाम उन्हों ने मुग़ल , फ़ारसी से लिया था।  प्रधान मंत्री को वजीर कहा जाता है।  सेनापति को सिपाह सालार ! अष्ट प्रधान में पेशवा की कोई हैसियत हो ही नहीं सकती। ये तो वैसा ही हुवा जैसे ज्ञानबा की मेख यानि बढ़ा चढ़ा कर बताना जैसे ज्ञानबा को बताया गया था।  गीता का अनुवाद किसी और ने किया था मराठी में उसका परायण कहा जाता है ज्ञानबा किसी मंदिर में करते थे जिस में कोई मूल भारतीय आता जाता नहीं था या गैर ब्राह्मण लोगो को अनादर आना मना था।  ऊपर से ऐसे जुट गड़े गए जैसे ज्ञानबा ने दिवार चलायी , पेट की गर्मी से दोसे पकाये ,भैसे से वेद कहलावे। ये सब ज्ञानबा की मेख यानि झुट है।  वैसे ही पेशवा कोई बड़ा नौकर था ये भी झुट  है।  विदेशी ब्राह्मण ...